Meaning of Hanuman Chalisa in Hindi
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**हनुमान चालीसा का महत्व और लाभ | Download PDF
हनुमान चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदू भजन है जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा था। यह चालीसा 40 चौपाइयों से मिलकर बनी है, जो भगवान हनुमान की महिमा, शक्ति और गुणों का गुणगान करती है। हनुमान जी को रामभक्त, अजेय योद्धा और संकटमोचक के रूप में पूजा जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
**हनुमान चालीसा का महत्व:**
1. **संकट हरता:** हनुमान जी को 'संकटमोचन' कहा जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ कठिन समय में मानसिक शांति और समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।
2. **आत्मबल और साहस:** नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से आत्मबल, साहस और मनोबल में वृद्धि होती है।
3. **नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा:** हनुमान जी का नाम लेने मात्र से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। उनके भक्तों पर भूत-प्रेत या अन्य किसी प्रकार की बुरी शक्तियों का प्रभाव नहीं होता।
4. **स्वास्थ्य लाभ:** यह माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। यह एक उत्तम उपाय है मानसिक शांति प्राप्त करने का।
5. **भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति:** हनुमान चालीसा का पाठ भक्तों को भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन कर देता है, जिससे उनके जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
**हनुमान चालीसा के लाभ:**
- मन की शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- नकारात्मक विचार और डर को दूर करता है।
- शारीरिक और मानसिक रोगों का नाश करता है।
- भगवान हनुमान की कृपा से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
### हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही समय:
हनुमान चालीसा का पाठ आप किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सूर्योदय और सूर्यास्त का समय इसे पढ़ने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा और चालीसा का पाठ किया जाता है।
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## श्री हनुमान चालीसा
**दोहा:**
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
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**चालीसा:**
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ 1॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ 2॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥ 3॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ 4॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेउ साजे॥ 5॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥ 6॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥ 7॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥ 8॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ 9॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे॥ 10॥
लाय सजीवन लखन जियाए।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥ 11॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ 12॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥ 13॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥ 14॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥ 15॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥ 16॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥ 17॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ 18॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ 19॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ 20॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ 21॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥ 22॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥ 23॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥ 24॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ 25॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ 26॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥ 27॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥ 28॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ 29॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥ 30॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन्ह जानकी माता॥ 31॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥ 32॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥ 33॥
अंतकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥ 34॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥ 35॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ 36॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥ 37॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥ 38॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ 39॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥ 40॥
**दोहा:**
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की आराधना का एक प्रभावी माध्यम है, जो व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है। नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। यदि आपको जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या या कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, तो हनुमान चालीसा का पाठ आपकी मदद कर सकता है।
जय श्री राम!
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