मेहंदीपुर बालाजी जाने से पहले इन रहस्यों को जान लें

 Mehandipur Balaji ki kya kahani hai


मेहंदीपुर में स्थित बालाजी मंदिर की शुरुआत कैसे हुई?  बालाजी मंदिर क्यों मशहूर है और इससे जुड़े रोचक तथ्य क्या हैं? इस पोस्ट मे हम ये सब जानकारी आपके साथ साझा करेंगे -  

बालाजी मंदिर कहा है ?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले मे स्थित है। हिन्दुओ मे संकटमोचन बजरंगबली हनुमान को बालाजी भी कहा जाता है।  माना जाता है जो कोई  श्रद्धालुु सच्चे मन से मेहंदीपुर बालाजी मे प्रार्थना करता है उसकी हर इच्छा बजरंगबली अवश्य पूरी करते है।  माना जाता है की मंदिर मे प्रवेश करते ही बड़ी से बड़ी नकरात्मक सकती से भी बड़ी आसानी से छुटकारा मिल जाता है।  




मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जुड़ा इतिहास क्या है ? 

बालाजी का मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।  मंदिर के इतिहास से जुडी एक कहानी काफी प्रचलित है।  माना जाता है की मंदिर मे तीन देवता - श्री बालाजी महाराज , श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव) यहाँ लगभग 1000 साल पहले यहाँ प्रकट हुए थे और तब से तीनो देवता यही पर वास करते है। ऐसा माना जाता है की अरावली पहाड़ी के बीच हनुमान भगवान् की मूर्ति अपने आप बनी है और इससे किसी कलाकार ने नहीं बनाया।  साथ ही माना जाता है कि इस मंदिर के पुराने महंत को एक सपना आया था. सपने में उन्होंने तीन देवताओं को देखा था. जिसे बाला जी के मंदिर निर्माण का संकेत माना जाता है. जहां महंत जी को ये आदेश दिया गया कि वे सेवा करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करे. जिसके बाद से यहां भगवान हनुमान की पूजा अर्चना शुरू कर दी गई।  

बालाजी मंदिर जाने के बाद कैसा महसूस होता है

बालाजी मंदिर जाने के बाद लोगो को अलग ही तरह का वातावरण महसूस होता है।  वैसे तो मेहंदीपुर गांव का वातावरण काफी गरम है लेकिन मंदिर मे जाने के बाद आपको आपके रीढ़ की हड्डी के पीछे काफी ठंडक महसूस होगी।  दूसरा मंदिर मे आप किसी भी समय चले जाइये आपको यहाँ हर समय भीड़ ही मिलेगी। और मंदिरो की तरह बालाजी मंदिर मे किसी घंटियों की आवाज नहीं सुन पाएंगे. बल्कि आप यहां आदमी और औरतों के तेज-तेज चिल्लाने की आवाज सुनेंगे, जिनसे आप डर भी सकते है. 

बालाजी मंदिर का माहौल

कहा जाता है कि ये जगह कमजोर दिल वालों के लिए बिलकुल भी नहीं. यहां आदमी और औरतों के तेज-तेज चिल्लाने की आवाज सुनकर आपको डर भी लग सकता है. यहां 4 कक्ष बने हुए हैं. पहले दो कक्ष मे हनुमान जी और भैरव की मूर्ती है और बाकी दो कक्ष मे बहुत सारे महिलाएं और पुरुष दिखाई देंगे, जिन पर प्रेत का साया बताया जाता है. 

कभी वापस नहीं मुड़कर देखना चाहिए

मान्यता के अनुसार- जब भी यहां से जाने के लिए तैयार हों तो याद रखें कि आप कोई भी खाने की चीज जैसे प्रसाद या पानी की एक बूंद भी वापस न लेकर आएं. यहां लोगों से बात नहीं की जाती और उन्हें छुआ भी नहीं जाता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बहुत से लोगों में प्रेत होते हैं जिनसे आप भी प्रभावित हो सकते हैं.

अनिवार्य नियम

1.) मंदिर के अंदर अजनबियों को न छुएं न और बातचीत न करें

2.) मंदिर के अंदर कुछ भी न खाएं-पिएं

3.) मंदिर जाने से पहले प्याज या नॉन वेज खाना न खाएं

4.) गांव से वापस जाते समय कोई भी प्रसाद या अन्य सामग्री न ले जाएं

5.) मंदिर से जाते समय पीछे मुड़कर न देखें


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