कामाख्या मंदिर का रहस्य (Kamakhya mandir ka rahasya)
कामाख्या मंदिर ( Kamakhya Mandir ) भारत के अनेक रहसयमय मदिरो में से एक ह। ये मंदिर आसाम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर है।
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव माता साती के देह त्यागने के बाद घूमने लगे तो भगवन विष्णु ने अपने चक्र से माता के कई भाग किये और उनमे से ही एक भाग माता का (योनि) नीलाचल पहाड़ी में गिरा और वो देवी का रूप धारण किया इस रूप को माता कामाख्या कहा गया है।
भक्त यहाँ देवी की पूजा करने के लिए दूर दूर से आते है क्युकी जिस प्रकार मनुष्य अपने माँ की योनि (गर्भ) से जन्म लेता है, लोगो की मान्यता है उसी प्रकार जगत की माँ देवी सती की योनि से संसार की उत्पत्ति हुई है जो कामाख्या देवी के रूप में है।
कामाख्या का अर्थ क्या है ( Kamakhya ka matlab kya hai ) ?
कामाख्या माँ दुर्गा का ही एक रूप है और इसका अर्थ है देवी दुर्गा, इच्छाओं की दाता|
कामाख्या मंदिर में किसकी पूजा होती है ( kamakhya mandir mein kiski puja hoti hai ) ?
माता की योनि की पूजा होती है |
गुवाहाटी से कामाख्या मंदिर की दूरी ( Guwahati se kamakhya mandir ki duri )
27 min (9.9 km) via Kamakhya Mandir Rd
कामाख्या मंदिर कहां है ( Kamakhya mandir kahan hai ) ?
ये मंदिर आसाम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर है।
कामाख्या मंदिर दर्शन समय ( Kamakhya mandir darshan time ) ?
भक्त माता के दर्शन के लिए सुबह 8:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और फिर दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक माता के दर्शन कर सकते है।
कामाख्या आरती ( Kamakhya Devi Aarti Lyrics)
आरती कामाक्षा देवी की ।
जगत् उधारक सुर सेवी की ॥ आरती……….
गावत वेद पुरान कहानी ।
योनिरुप तुम हो महारानी ॥
सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी ।
लहे दरस सब सुख लेवी की ॥ आरती………
दक्ष सुता जगदम्ब भवानी ।
सदा शंभु अर्धंग विराजिनी ।
सकल जगत् को तारन करनी ।
जै हो मातु सिद्धि देवी की ॥ आरती………….
तीन नयन कर डमरु विराजे ।
टीको गोरोचन को साजे ।
तीनों लोक रुप से लाजे ।
जै हो मातु ! लोक सेवी की ॥ आरती…………..
रक्त पुष्प कंठन वनमाला ।
केहरि वाहन खंग विशाला ।
मातु करे भक्तन प्रतिपाला ।
सकल असुर जीवन लेवी की ॥ आरती…………
कहैं गोपाल मातु बलिहारी ।
जाने नहिं महिमा त्रिपुरारी ।
सब सत होय जो कह्यो विचारी ।
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