हिंदी अर्थ सहित हनुमान चालीसा - भाग 2

जय श्री राम  जय हनुमान।।।।।।।।।।।।।।।। 

जय श्री राम  जय हनुमान।।।।।।।।।।।।।।।। 

Jai Shri Ram Jai Hanuman।।।।।।।।।।।।।।।। 

Jai Shri Ram Jai Hanuman।।।।।।।।।।।।।।।।


नमस्कार दोस्तों इस वेबसाइट मे मै आपके लिए चमत्कारी मंत्र और उनके उच्चारण का तरीका लेकर आता रहता हु।  

हम सब जानते है मंत्रो मे अपार सकती होती है और अगर मंत्रो का सही से उच्चारण किया जाए तो कुछ ही दिनों मे आपको इसकी सकती नजर आ जाती है।  

जिस प्रकार हर बीमारी का इलाज अलग अलग दवा से होता है उसी प्रकार हर मुसीबत और परेशानी के लिए अलग अलग मंत्र भी मौजूद है। 


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Hanuman chalisa with meaning

इस पोस्ट मे हमने पूरी Hanuman Chalisa with meaning के साथ लिखी है।  आप भी पूरी हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमान भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।         




                            जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥


अर्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
अर्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥

अर्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥

अर्थ- जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥

अर्थ- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥

अर्थ- संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।



राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥

अर्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।


सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥

अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥

अर्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥

अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥

अर्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।

                    संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥

अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥

अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।

और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥

अर्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥

अर्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।

साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥

अर्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।

 अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥

अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते
है।
1.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
7.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
8.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।


राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥

अर्थ- आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥

अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।

अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥

अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।

और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥

अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥

अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥

अर्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।

जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥

अर्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥

अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥

अर्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥

अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।


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