प्रयागराज में आराम की मुद्रा में लेटे हनुमानजी का है भव्य मंदिर

Lete Hanuman Ji Ka Mandir

 बजरंगबली यानि चमतकार का दूसरा नाम यह सभी भक्तजन जो भगवान पर आस्था रखते है वो जानते और मानते है। 

चाहे वो समुद्र पार करके लंका में सीता माता की खोज हो या लंका में जाकर लंका में आग लगाना या भगवान श्री राम की युद्ध में मदद करना।  

प्रयागराज में श्री बजरंगबली महाराज का भव्य मंदिर है जहाँ बजरंगबली आराम की मुद्रा मे है।  माना जाता है यहाँ भगवान भक्तो की सारी मनोकामनाएं पूरी करते है। 

श्री बजरंगबली का यह मंदिर संगम के किनारे है और ऐसा मन जाता है की इनके दर्शन किये बिना गंगा स्नान अधूरा होता है। 

इस मंदिर मे श्री बजरंगबली की प्रतिमा कम से कम 20 फ़ीट लम्बी है और धरती के कम से कम 6-7 फ़ीट निचे है। श्री बजरंगबली के इस मंदिर को लेटे हुए हनुमान जी ( Lete hue Hanuman ji ) के नाम से भी जाना जाता है। 

ऐसा माना जाता है की इस मंदिर मे श्री हनुमान जी अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को दवाये हुए अवस्था में है। 



आखिर क्यों लेटे हुए है हनुमान जी ? ( Aakhir Kyon lete hue hai Hanuman Ji )

ऐसा कहा गया है जब लंका पर विजय प्राप्ति के बाद हनुमान जी वापस लौट रहे थे तो वो थक गए थे तो माता सीता ने उनको विश्राम करने को कहा तो वो संगम किनारे लेट गए और उसी स्थान पर उनका मंदिर बना हुआ है। 


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लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर का इतिहास ( Lete hue Hanuman Ji ke Mandir ka itihas )

ये मंदिर बहुत वर्ष पुरानी है। श्री बजरंगबली के इस मंदिर को 600-700 वर्ष पहले कनौज के राजा ने बनवाया था अपने गुरुदेव के आदेश पर।  इस मंदिर को मुग़ल राज्य में तोड़ने की कई बार कोशिश की गयी। जीतनी बार इस मूर्ति को उठाया जाता उतनी बार ये धरती में उतनी ही निचे चली जाती इलसिए भगवान की ये प्रतिमा इतनी निचे है। 


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